"बेचैन मन के लिए मन की शांति"

        "बेचैन मन के लिए मन की शांति"

अगर मन प्रस्तुति एक ही तरह की है बहुत  सुख होने पर भी सुख का आनंद पूरा नहीं ले पाते तो ये कहानी आपके लिए है यह कहानी आपकी जीवन में ज़रूर बदलाव लेकर आएगी:- 

कहानी का नाम: "शांत झील का रहस्य"
बहुत समय पहले, एक छोटे से गांव में आरव नाम का एक युवक रहता था। वह पढ़ा-लिखा, होशियार और मेहनती था, लेकिन अंदर से हमेशा बेचैन और असंतुष्ट रहता। उसे समझ नहीं आता था कि उसकी यह बेचैनी क्यों खत्म नहीं होती।

एक दिन वह गांव के एक बुज़ुर्ग साधु के पास गया और बोला,
"बाबा, मैं सब कुछ करता हूं—काम, पूजा, सेवा, लेकिन फिर भी मुझे मन की शांति नहीं मिलती।"

साधु मुस्कुराए और बोले,
"अगर मन की शांति चाहिए, तो पहाड़ों के पार एक शांत झील है। वहां जाकर उसे ध्यान से देखो।"

आरव अगले ही दिन निकल पड़ा।

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रास्ता कठिन था—कभी कांटे, कभी बारिश, कभी चढ़ाई। लेकिन वह रुका नहीं। तीन दिन बाद वह झील के किनारे पहुंचा। वहां कोई नहीं था, बस गहरी, नीली, शांत झील।

आरव ने झील में झांका और देखा—उसके अपने ही चेहरे का प्रतिबिंब, लेकिन पहली बार इतना शांत, स्थिर और साफ़।

वहीं बैठकर वह सोचने लगा:
"मैं इस झील की तरह क्यों नहीं बन सकता? यह कुछ नहीं कहती, कोई शोर नहीं, बस बहती है, ठहरी है, और फिर भी सुंदर है।"

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                    "मन की शांति "

वह घंटों वहीं बैठा रहा, बिना कोई सवाल, बिना कोई सोच। पहली बार, उसका मन कुछ नहीं सोच रहा था—और वही क्षण उसकी अंदरूनी शांति का आरंभ बना।

जब वह वापस गांव लौटा, उसका चेहरा शांत था, आंखों में चमक थी, और चाल में ठहराव।

गांववालों ने पूछा,
"आरव, अब तुम बदल गए हो। मन की शांति कहां से लाई?"

मान की शांति का सारांश :- 

आरव मुस्कुराया और बोला:"मन की शांति बाहर नहीं, भीतर मिलती है—बस उसे देखने और समझने के लिए खुद से मिलना पड़ता है।"

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