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“15 अगस्त का इतिहास: आज़ादी के संघर्ष की कहानी”

"15 अगस्त – भारत का स्वतंत्रता दिवस: इतिहास, संघर्ष और महत्व"


लहराए तिरंगा, बने भारत महान,

शहीदों के सपनों का रखे सम्मान।

कुर्बानियों की खुशबू हर साँस में समाए,

आओ मिलकर आज़ादी का पर्व मनाए।


प्रस्तावना;
15 अगस्त 1947 — यह सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के लिए गर्व, बलिदान और आज़ादी की प्रतीक है। यह वह दिन है जब भारत ने 200 से अधिक वर्षों की ब्रिटिश गुलामी से मुक्त होकर अपने स्वतंत्र अस्तित्व की शुरुआत की। इस दिन के पीछे हज़ारों क्रांतिकारियों का बलिदान, अनगिनत आंदोलनों का संघर्ष और करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है।


भारत की गुलामी की शुरुआत;

भारत का इतिहास समृद्ध और स्वर्णिम रहा है, लेकिन 17वीं शताब्दी में अंग्रेज़ ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के बहाने भारत आई और धीरे-धीरे राजनीतिक नियंत्रण करने लगी। 1757 की प्लासी की लड़ाई में बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला को हराने के बाद अंग्रेज़ों का शासन तेज़ी से फैलने लगा।
19वीं सदी तक आते-आते पूरा भारत ब्रिटिश राज के अधीन हो गया। इस दौरान भारतवासियों को आर्थिक शोषण, सामाजिक भेदभाव और राजनीतिक दमन का सामना करना पड़ा।
आजादी की पहली चिंगारी – 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम;
1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली बड़ी घटना थी। इसे ‘सिपाही विद्रोह’ भी कहा जाता है। मंगल पांडे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बेगम हज़रत महल जैसे वीरों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ हथियार उठाए।
हालांकि यह क्रांति सफल नहीं हो पाई, लेकिन इसने आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
20वीं सदी का स्वतंत्रता आंदोलन;
20वीं सदी में आज़ादी की लड़ाई ने संगठित रूप लेना शुरू किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य संगठनों ने जनता को ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़ा किया।
प्रमुख आंदोलन;
असहयोग आंदोलन (1920) – महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के खिलाफ सत्याग्रह और बहिष्कार।
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) – नमक कानून तोड़कर अंग्रेज़ी सत्ता को चुनौती दी गई।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942) – “करो या मरो” के नारे के साथ अंतिम निर्णायक संघर्ष।
बलिदान की अमर गाथाएँ
आज़ादी की लड़ाई में अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपना जीवन न्यौछावर कर दिया:
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव – देश के लिए हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूमा।
चंद्रशेखर आज़ाद – “आज़ाद” नाम की तरह ही जीए और अंत तक अंग्रेज़ों के हाथों नहीं आए।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस – आज़ाद हिंद फ़ौज बनाकर भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़े।
भारत की आज़ादी – 15 अगस्त 1947
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर हो गया और भारत में स्वतंत्रता की मांग तेज़ हो गई। ब्रिटेन ने 1947 में सत्ता हस्तांतरण का निर्णय लिया।
14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को भारत और पाकिस्तान, दो स्वतंत्र राष्ट्र अस्तित्व में आए।
15 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले से पहला स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया – “At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom…”





“15 अगस्त का इतिहास: आज़ादी के संघर्ष की कहानी”

स्वतंत्रता दिवस का महत्व;

राष्ट्रीय एकता का प्रतीक – यह दिन हर भारतीय को एक धागे में जोड़ता है।
बलिदान की याद – यह दिन हमें उन सभी शहीदों को याद दिलाता है जिन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित किया।
लोकतंत्र की शुरुआत – 15 अगस्त को ही भारत ने एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में कदम रखा।
आज के समय में स्वतंत्रता दिवस;
हर साल 15 अगस्त को पूरे देश में झंडारोहण, परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम और देशभक्ति गीतों का आयोजन होता है। प्रधानमंत्री लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हैं और देशभर में तिरंगा लहराता है।

15 अगस्त का इतिहास: आज़ादी के संघर्ष की कहानी का निष्कर्ष;

15 अगस्त हमें यह याद दिलाता है कि आज़ादी हमें आसानी से नहीं मिली — इसके लिए लाखों लोगों ने संघर्ष और बलिदान किया। हमारा कर्तव्य है कि हम इस आज़ादी की रक्षा करें, देश को एकजुट रखें और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भारत बनाएं।

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